स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

रविवार, 18 मार्च 2012

मिलते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद

आदरणीय ब्लॉगर मित्रों इसे पोस्ट न समझ कर एक पत्र  समझे ..


मैं पिछले कई महीनों से ब्लॉग जगत से जुडी हुई हूँ और ब्लॉगजगत मेरे लिए एक परिवार जैसा ही है. आप सब लोगों ने भी मुझे एक परिवार के सदस्य की ही तरह समय समय पर प्यार और आशीष दिया. पिछले कुछ समय से मैं ब्लॉगजगत से पूरी तरह से जुड नहीं पा रही हूँ . कुछ व्यक्तिगत कारणों से मेरे लिए ब्लॉग लिखना संभव नहीं हो पा रहा है और आने वाले कुछ समय में भी संभव नहीं होगा.

आशा है एक छोटे से  विराम के बाद मैं पुनः इस परिवार से जुड जाऊँगी और  आपका प्यार और सहयोग मुझे   यूँ ही  मिलता रहेगा. मैं अपने ब्लॉगर मित्रों के पोस्ट पर टिप्पणी करने का भरसक प्रयास करुँगी. एक पंक्ति में कहें तो "मिलते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद ".
आप सभी का धन्यवाद ..







































सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ



आप सभी को मेरी ओर से  महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ . महाशिवरात्रि  महादेव का सबसे प्रिय दिन है . यह पर्व फाल्गुन में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है . चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं और शिवरात्रि  हर महीने की चतुर्दशी को आती है किन्तु  फाल्गुन कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि  को ही महाशिवरात्रि कहा जाता है.



आप सब  भी शिव भजन का आनंद लें .



शनिवार, 14 जनवरी 2012

मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ

मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो हमारे देश के हर प्रान्त में किसी न किसी रूप में मनाया ही जाता है. पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोडकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, अर्थात इस दिन से सूर्य की उत्तरायण की गति प्रारंभ हो जाती है. यह त्यौहार भारत के अलग -अलग हिस्सों में विभिन्न  तरीकों से मनाया जाता है.

पंजाब और हरियाणा में यह लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है तो उत्तर-प्रदेश में इस त्यौहार में दान की प्रमुखता है जबकि इलाहबाद में यह माघ मेले के रूप में प्रसिद्द है. बंगाल में इस त्यौहार में स्नान के पश्चात तिल दान करने की प्रथा है . गंगा सागर मेले से हम परिचित हैं ही यह भी मान्यता है कि इसी दिन गंगाजी भागीरथ के पीछे पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में जा मिली थीं.गंगा सागर में लाखों श्रद्धालु इकट्ठे होते हैं. यह यात्रा पहले बहुत कष्टकारी होती थी और ऐसा कहा जाता है "सारे तीरथ बार बार गंगा सागर एक बार".

महाराष्ट्र में इस दिन लोग एक दुसरे को तिल गुड़ खिलातें है और तिल गुड़ देते समय बोलते है "लिळ गूळ ध्या आणि गोड़ गोड़ बोला" मतलब तिल गुड खाओ और मीठा मीठा बोलो.
गुजरात और शेष भारत मैं भी आज के दिन  बच्चे - बड़े सभी पतंग उड़ाने के लिए उत्साहित रहते हैं. आसमान में आज के दिन  रंग बिरंगे पतंग उड़ते हुए जरुर दिखाई देंगे .

तमिलनाडु में इस त्यौहार को पोंगल के रूप में चार दिनों तक मनाया जाता है और त्यौहार का मुख्य उद्देश्य सूर्यदेव की आराधना करना होता है.
असम में इस त्यौहार को माघ बिहू के नाम से मनाया जाता है .
हमारे बिहार में भी मकर संक्रांति के दिन लोग भगवान को तिल गुड प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं और माताएं अपने बच्चो को तिल गुड देकर आशीर्वाद देती हैं.हमारे यहाँ तिल के अतिरिक्त भी विभिन्न तरह के लड्डू बनाये जाते हैं. यह रही मेरे हाथ से बनी लड्डू की तस्वीर ....

मकर संक्रांति के दिन हम देखते हैं कि भारत के हर हिस्से में कोई न कोई त्यौहार मनाया ही जाता है और छोटे बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस तरह से हम  भारत में "अनेकता में एकता" की झलक देख सकते  है.एक बार फिर से आप सभी को मकर संक्रांति ,लोहड़ी ,बिहू ,पोंगल .....आदि त्योहारों की शुभकामनाएँ.

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

ये कैसी आपदाएं

सबसे पहले मैं  आप लोगों से माफ़ी चाहती हूँ कि कुछ निजी कारणों से कोई नया पोस्ट नहीं लिख पाई साथ ही टिप्पणीयां  देने में भी बीच-बीच में रुकावटें  आती ही  रही. उम्मीद है कि अब लगातार आप लोगों से मैं  जुडी रहूंगी .आज की पोस्ट बंगाल की घटनाओ पर आधारित है. 


बंगाल प्राकृतिक आपदा पीड़ित प्रदेशों में से एक माना जाता रहा है परन्तु हाल फिलहाल में यहाँ  मानव निर्मित आपदाएं कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं . जहरीली शराब कांड से पहले बड़ी संख्या  में अस्पतालों में शिशुओं की मृत्यु हुई , इसके बाद अस्पताल में हुए अग्नि कांड में बड़ी संख्यां में हुई मौत से बदइन्तजामी सामने आ गई . आग के सिलसिले में ऐसे लोगों को हिरासत में लिया गया जो नामी कंपनियों से ताल्लुक रखते है साथ ही निजी अस्पताल भी चलाते हैं . आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम  न होने के कारण ऐसी त्रासदी हुई.  इसके तुरंत बाद ही जहरीली शराब कांड से मौत का भीषण तांडव देखने को मिला . 

कोलकाता से  52 किमी दूर दक्षिण 24 परगना जिले के मगराहट ब्लॉक  के संग्रामपुर क्षेत्र में यह घटना हुई . रेलवे स्टेशन के निकट अवैध शराब की दुकान पर देशी शराब पीने  के बाद बैचेनी , तेज पेट दर्द महसूस होने के बाद लोगो को अस्पताल में भर्ती कराया गया.

 बदकिस्मती से हमारे देश में ऐसे लाखों परिवार है जहाँ बच्चे भूख से तड़पते रहें , लेकिन दारू की व्यवस्था होनी चाहिए .ऐसे लोगो में रिक्शे वाले , ठेले वाले और मजदूर लोग होते हैं . गाँव में चाहे शुद्ध पेय जल न मिले लेकिन देशी शराब की दूकान जरुर मिल जाती है. हमारी सरकार  भी साल में एक बार मद्य निषेध दिवस मनाकर अपना फर्ज पूरा समझती है और राजस्व  के लालच में अधिक से अधिक शराब की बिक्री को बढ़ावा भी देती है. अपने फायदे के लिए देशी ठेका वाले शराब जैसी चीज में भी हेरा फेरी करने से बाज़  नहीं आते ..  ठेले वाले या मजदूर लोग शराब को अपनी थकान मिटाने का जरिया समझते हैं साथ ही शराब का कम मूल्य होना भी मजदूरों को इस और आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण कारण बन जाता है.  बहुत से  लोग शराब की और अपने मित्रो की गलत संगति के कारण भी आकर्षित हो जाते हैं . 

एक के बाद इस तरह की घटनाओं से पश्चिम बंगाल प्रशासन सवालों के घेरे में नज़र आ रही है . सरकार को जल्दी ही दोषियों के खिलाफ सख्त करवाई करनी चाहिए न की मुआवजा भर दे कर अपनी औपचारिकता पूरी समझनी चाहिए . बिना पुलिस के सहयोग के तो नकली शराब की दुकान कहीं चल ही नहीं सकती इसलिए पुलिस वाले तो सीधे - सीधे जिम्मेदार हैं इसलिए उनकी भी जाँच अवश्य होनी चाहिए. फिलहाल तो सी आई डी जाँच कर रही है आगे देखते हैं क्या होता है ......? 

कम से कम शराब के दुष्प्रभावों के प्रति आम जनता में जागरूकता तो पैदा की ही जा सकती है . 


मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

दीपावली की शुभ कामनाएँ




दीपावली प्रकाश का पर्व है .  दीपावली का शाब्दिक अर्थ दीपों की पंक्ति से है .  इस पर्व को मनाये जाने के पीछे मान्यता यह रही है कि इसी दिन  भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या वापस आये थे . उनके वापस आने की ख़ुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दिए जलाये . तब से कार्तिक अमावस्या  की काली घनी रात हमेशा रोशनी से जगमगाई रहती है. यह पर्व  बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है या हम कह सकते है कि असत्य  पर सत्य की विजय का भी प्रतीक है.हमें भी इस पर्व के मूल भाव को समझकर अपने अन्दर के अंधकार को मिटाकर प्रकाश को अपनानना चाहिए .  

हमारे यहाँ लोग दीपावली के दिन घर घर जा कर अपने से बड़ो का आशीर्वाद जरुर लेते हैं .मैं भी अपने सभी ब्लॉगर साथियों से अनुरोध करती हूँ कि वे भी अपने से बड़ो का आशीर्वाद अवश्य ले साथ ही मेरे जैसे ब्लॉग परिवार में आए  नए  सदस्यों को अपना आशीष देकर यूँ ही उत्साह वर्धन करते रहें.  

आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ. 


शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

फटाफट निपटाओ

हमारा देश एक लोकतान्त्रिक देश है और हर किसी को अपने  विचारों  को व्यक्त करने की पूरी स्वंत्रता है . ठीक उसी तरह  यदि हम किसी के विचारों से सहमत नहीं  है तो हमें  विरोध करने की भी पूरी स्वंत्रता है . 



जी हाँ मैं प्रशांत भूषण के सम्बन्ध में ही बात कर रही हूँ . उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर जो बयान बनारस में दिया था , मैं उसके एक दम खिलाफ हूँ  लेकिन  उनके  इस बयान के विरोध में जो प्रतिक्रिया हुई  उसके समर्थन में  भी बिलकुल नहीं हूँ. 

आजकल का जमाना "फटाफट निपटाओ" पर केन्द्रित हो गया है. हम किसी समस्या का स्थायी निदान करना ही  नहीं चाहते हैं . हम तुरंत निदान चाहते है , भले ही समस्या  कुछ दिन के बाद फिर से क्यों न सामने आ जाये. यहाँ भी हाल कुछ ऐसा ही है . 

प्रशांत भूषण ने इस मुद्दे पर बयान देते समय सोचा ही नहीं कि मुद्दा कितना गंभीर और संवेदनशील है . वे भूल गए कि हमारे सैनिक वहां कितनी कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए सीमा की रक्षा कर रहे हैं . कई बार जनता की रक्षा करते हुए वे शहीद भी हो जाते हैं . पिछले वर्ष मुझे कश्मीर जाने का मौका मिला था और वहां मैंने मौसम की परवाह न करते हुए अपने वीर जवानों को काफी संघर्ष करते हुए नजदीक से देखा था साथ ही  यह भी  महसूस  किया था कि किस तरह जनता की रक्षा के लिए ये लोग हमेशा तत्पर रहते हैं .मुझे कश्मीरी जनता के  विचारों को भी जानने का मौका मिला और  ऐसा लगा कि वे लोग तरक्की की दिशा में थोड़े पीछे रह गए हैं . मुझे लगा कि उनकी उर्जा सकारात्मक दिशा में खर्च न होकर नकारात्मक दिशा में मोड़ दी जा रही हैं जो उनके भविष्य के लिए किसी तरह से  भी सही नहीं है.हम यह भी जानते हैं की कश्मीर से बहुत से लोगो का पलायन भी हो गया है. वहां के मंदिरों में जाने वाला कोई भी व्यक्ति स्थानीय नहीं होता है ,पर्यटक ही गाहे-बगाहे नज़र आ जाते हैं . आखिर क्यों .........?

इन परिस्थितियों के लिए कौन जिम्मेदार है ये कहना बड़ा कठिन है ...
मेरे विचार से हमें "कश्मीर हमारा  अभिन्न हिस्सा है " इतना कहना काफी नहीं होगा बल्कि कश्मीरी जनता से सीधे जुड़कर उनको विश्वास में लेना होगा. दिल्ली ,मुंबई ......जैसे बड़े बड़े शहरों में बैठकर हम वहां की जनता की भावनाओ और इच्छाओं को नहीं समझ सकते . कुछ ही दिन वहां बिताने के बाद मुझे ऐसा लगा कि वहां की जनता की  मानसिकता को पंगु बना दिया गया है और उनकी मानसिकता राजनीति  की बैसाखी के साथ ही चलती है. 

शांति पूर्ण विरोध करने के भी अनेक तरीके हो सकते है. आज के इस युग में संचार के अनेको माध्यम है जिसके द्वारा हम स्वन्त्रत  रूप से विरोध प्रकट कर सकते है, साथ ही  जिसका हम विरोध कर रहे है उस तक और आम जनता तक आसानी से अपनी बात पहुंचा भी सकते है . इस सन्दर्भ में मुझे एक प्रसंग याद आ रहा है . एक बार एक व्यक्ति ने एक दुकान से इलेक्ट्रोनिक सामान ख़रीदा और घर पहुँचने पर उसे ख़राब देखकर वह दुकान वाले के पास वापस करने के लिए पहुँच गया.  दुकान वाले ने जब उस सामान को वापस लेने से मना कर दिया तो उस व्यक्ति ने  एक तरकीब निकाली .  उसने एक रिक्शा और माइक लेकर दूकान के आस-पास घूम -घूमकर लोगो के बीच अपनी इस  बात को  पहुँचाना शुरू कर दिया .. कुछ ही देर में दुकान का मालिक दौड़ते  हुए उसके पास पहुंचा और उसकी समस्या हल कर दी .यहाँ इस प्रसंग को लिखने का मेरा यही मकसद था कि आजकल  कई ऐसे प्रभावी तरीके हमारे आस पास होते है जिससे हम सामने वाले को बिना किसी हिंसा के मुह तोड़ जवाब दे सकते है. हम अपने विरोधी को ठोकपीट कर अपने विचारों से नहीं जोड़  सकते है , असली बहादुरी तो विरोधी के विचारों  को बदलकर अपने विचारों से जोड़ लेने में है . आपको क्या लगता है....? 


अन्ना टीम को इस समय अर्जुन की तरह एकाग्रचित्त होकर अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, साथी ही प्रशांत भूषण को इस समय अपनी गलती को समझ कर देशवासियों से माफ़ी मांगनी चाहिए और इस बात को यहीं ख़तम करना चाहिए. अन्ना टीम सदस्यों को एकजुट होकर इन परिस्थितियों से बाहर निकलना होगा क्योंकि उनकी जरा सी  चूक के दूरगामी परिणाम हो सकते है. 

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

भूकंप : खतरा न्यूनीकरण



भूकंप एक प्राकृतिक घटना है ,जिस पर मनुष्य का बहुत कम अथवा नहीं  के बराबर नियंत्रण रहता है  भूकंप की घटना के समय ,स्थान और परिमाण के बारे में सही -सही अनुमान करना कठिन है  ,परन्तु यह आवश्यक है कि भूकंप के बारे में जानकारी रखी  जाए कि इसका सामना कम -से -कम क्षति के साथ कैसे किया जाय .  भारत जैसे देश में भूकंप खतरा न्यूनीकरण का अत्यधिक महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि समुदाय आपदा स्थिति से निपटाने के लिए प्रशिक्षित किया जाय . केवल जागरूक और जिम्मेदार समुदाय ही भूकंप आपदा के प्रभाव को कम कर सकता है  .  
भूकंप की समस्या  से निपटने के लिए सबसे उत्तम तरीका यह है कि भूकंपरोधी संरचनाओं और भवनों का निर्माण किया जाय एवं भूकंप न्यूनीकरण योजना बनाई जाए ,ताकि भूकंप प्रबंधन की प्रत्येक अवस्था के लिए सावधानी बाराती जा सके .

 भूकंप से पहले और बाद में " क्या करें "और "  क्या न करें  " बातों का ध्यान रखा जाए , तो इस आपदा के न्यूनीकरण में निश्चय ही बहुत सहायता मिलेगी . 

भूकंप से पूर्व  

* भूकंपरोधी निर्माण के लिए स्थानीय भवन निर्माण संहिताओं का पालन करें 
* कमजोर संरचनाओं अथवा इंजीनियरी रहित संरचनाओं में भूकंप पूर्व प्रभावी अनुरुपांतर क्कारावाने के लिए सलाह दें . 
*भूकंप आपदा प्रबंधन तैयारी के अभ्यासों और प्रशिक्षण सत्रों में भाग लेंऔर अन्य लोगों को भी प्रोत्साहित करें . 
प्राथमिक चिकित्सा सीखें   

*अग्रिम रूप से अपने क्षेत्रों के लिए चिकित्सा सुविधा केंद्र , आग बुझाने  का केंद्र , पुलिस थाना और संगठित रहत केन्द्रों की पहचान कर लें एवं उनके साथ संपर्क बनाए रखें . 
* प्रत्येक परिवार के लिए आपदा न्यूनीकरण योजना बनाएँ  . 
* प्रत्येक समुदाय को अपने क्षेत्र में हर घर के व्यक्तियों , पालतू जानवरों का रिकार्ड रखना चाहिए तथा कमजोर और वृद्ध लोगों की सूची बनानी चाहिए 


भूकंप के दौरान 

 *  शांत रहें और दूसरों को आश्वासन दें . 
 *गैस और बिजली के मुख्य प्वाइंटों  को बंद कर दें . 
* यदि घर के अन्दर हैं तो बाहर भय से न भागें और लिफ्ट का उपयोग न करें 
* यदि भवन के अन्दर ,तो मजबूत दरवाजे अथवा कोने में खड़े  रहें या मजबूत पलंग अथवा मेज के नीचे रेंग कर चले जाएँ 
* गिराने वाली वस्तुएं जैसे प्लास्टर ,इंट,आलमारी आदि का ध्यान रखें . 
* कांच की खिड़कियों और शीशों से दूर रहें . 
* यदि बाहर हैं तो ऊँचे ,भवनों ,दीवारों ,बजली के खम्भों और अन्य जिन वस्तुओं के गिराने की संभावना हो उनके पास न जाएँ .यदि संभव हो तो दूर खुले स्थान में चले जाएँ .  
* यदि गाड़ी चला रहें हों तो पुल , फ्लाई -ओवर , खम्भों ,भवनों और पेड़ों से दूर रुकें . 

भूकंप के बाद 

"उत्तरघात" बाद में आने वाले झटकों के लिए तैयार रहें ,जो सामान्यतः कम परिमाण के होते हैं परन्तु पहले भूकंप के प्रभाव से अर्धनष्ट हुई संरचनाओं के बाकी बचे हुए मलबे के गिराने से काफी क्षति पहुँच सकती है . 
* आग लगाने की घटनाओं की जाँच करें . 
* घर में हुए नुकसान की जाँच करें -- यदि आवश्यक हो तो घर खाली कर दें .  
* घायलों की जाँच करें --उनको प्राथमिक उपचार दें ,गंभीर रूप से घायलों को न हिलाएं जब तक कि वह और अधिक चोट लगाने के प्रत्यक्ष खतरे में न घिरे हों और जो मलबे में आंशिक रूप से दबे हुए हैं ,उनको सावधानी पूर्वक बाहर निकालें .  
* सेवा कीसभी लाइनों और उपकरणों की जाँच करें ,जलानेके लिए माचिस या लाइटर का उपयोग न करें जब तक यह पता न लगे कि गैस कहीं से लीक तो नहीं हो रही है . 
* बजली के नीचे गिरे तार आदि को कभी न छुएँ . 
* क्षेत्र में चक्कर लगाएँ और मलबे के नीचे दबे हुए लोगों क़ी आवाजें सुनने क़ी कोशिश करें .  
* सभी क्षेत्रों में जाते समय अपने जुते पहनें विशेषकर मलबे और टूटे हुए कांच के ढेर के पास . 
* सरकारी प्राधिकारियों के साथ सहयोग करें --  सरकारी अधिकारी ,पुलिस और अग्नि शमन सेवा के कर्मचारियों क़ी सहायता और सहयोग कर सकें तो अच्छा रहेगा . 
* क्षतिग्रस्त क्षेत्रों में जाकर भीड़ न लगाएँ जब तक कि मदद के लिए अनुरोध न किया जाये .  
* न तो अफवाह फैलाएँ और न ही अफवाह सुनें . 
* उन लोगों क़ी खोज करें जो नहीं मिल पाए हैं 

भगवान करे आपके जीवन में इस तरह की परिस्थिति कभी उत्पन न हो ,लेकिन अगर इस तरह की आपदा कभी आए तो मेरे द्वारा दी गई सलाह पर जरुर अमल करें ताकि हमें  कम -से -कम क्षति हो .एक और बात का ध्यान रखें भूकंपरोधी संरचना ही बनाएँ. इसके बनाने से केवल ५ से १०  प्रतिशत की सीमित लागत बढती है और यह लागत अधिक भूकंप रोधन सुरक्षा प्रदान करती है .हम वर्त्तमान भवनों को भी अनुरुपान्तरित करके भूकंपरोधी बना सकते हैं .
अधिकतर ऐसा  देखा गया है कि  गलत तरीके से निर्णित संरचनाएं ही लोगों के मृत्यु का कारण बनती है न कि भूकंप की घटना . अधिकांश भूकंप से सम्बंधित मौतें और वित्तीय नुकसान घरों और अन्य भवनों तथा संरचनाओं के ढह जाने से होता है . हालाँकि कोई भो भवन भूकंप के प्रति रोधी नहीं हो सकता ,परन्तु भवन निर्माण में भूकंप रोधी डिजाइन आपदा न्यूनीकरण में सहयोग करता है