अब अफगानिस्तान सरकार को यदि कहीं सुरंग बनाने की आवश्यकता होगी तो वह तालिबान को भी ठेका दे सकती है . आखिर क्यों न दे उनमे इतना हूनर जो है . अब ३६० मीटर लम्बा सुरंग वो भी चुपचाप तो कोई अनुभवी कंपनी ही खोद सकती है . पर ठेका मिलने में एक अड़चन ये है की उस सुरंग से ४७६ कैदी भाग निकले ..
इसका मतलब जेल में सुरंग .......?
अब कैदियों के साथ यदि अच्छा व्यवहार नहीं करेंगे . उनके मनोरंजन का ध्यान नहीं रखेंगे तो वे तो भागने की सोचेंगे ही. तालिबान ने साफ़ कहा कि उनके लोगों ने रात ग्यारह बजे से निकलना शुरू किया और सुबह तक ४७६ लोग बाहर आ गए .साथ साथ ये भी कहा कि इनमें से 106 तालिबान कमांडर हैं जबकि बाकी मामूली सैनिक हैं. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में पांच महीने का समय लगा .
लेकिन सुना है कि इस जेल में कैदियों और जेल कर्मचारियों के बीच माहौल काफी दोस्ताना था. सुना है वहां के कैदियों के पास में मोबाईल फोन भी थे . बड़े कैदियों के पास अपनी कोठरिया बदलने के लिए चाभियाँ भी थी.
कहते है राम कथा अगर कही होती है तो हनुमान जी किसी न किसी रूप में उपस्थित जरूर होते है. हनुमान जी राम कथा का आनंद लेते है और प्रसाद ले के जाते है.
ऐसा ही कुछ नज़ारा रतलाम में देखने को मिला. यहाँ राम कथा चल रही थी तो एक वानर महाराज पहुँच गए और मंच पर स्वछंद विचरण करने लगे .
ऐसा कहा जाता है की यदि हनुमान जी को प्रसन्न करना हो तो राम का गुणगान करना चाहिए. यहाँ भी वानर महाराज काफी प्रसन्न मुद्रा मैं है . यहाँ तक की वहां बिराजमान महानुभावों से गले मिलते हुए दिखाई दे रहे है और वानर महाराज प्रसाद ले के ही जाते है .
त्रेता युग में भगवान राम को जन्म लेकर रावण के अत्याचार से मुक्ति दिलानी पड़ी थी . उसके बाद द्वापर में भगवान कृष्ण ने कंस का उद्धार कर अपने भक्तो को एक अत्याचारी से मुक्त किया . अब बारी कलयुग की है .
अब भगवान का भी इंतजार कर नहीं सकते क्योंकि शायद वह भी यहाँ आना नहीं चाहते. तो निष्कर्ष यह है कि हम सबको ही मिलकर इस दानव से निपटना होगा.
क्या कहा कौन सा दानव .
अरे वही "भ्रस्टाचार"
आज कल जहाँ भी देखिये ये हर जगह अपना पैर पसारता जा रहा है. कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं रहा है. चाहे वह बड़े नेता हो या छूठ्भैये नेता ,बड़े अफसर हो या जी हजूर वाले अफसर , मंत्री हो या कार्यकर्त्ता सबको इसने अपनी गिरफ्त में ले लिया है.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार लगभग पंद्रह प्रतिशत भारतीयों ने कम से कम एक बार घूंस दिया है.
आज कल हम अपने काम के लिए घूंस देने में और लेने दोनों में विश्वास रखते है . आखिर हमको हमसे बचाए कौन ..?
भारत २०१० में विश्व के १८७ देशो मैं भ्रस्टाचार में ८७ वे स्थान पर था. भारत विश्व में काले धन के मामले में पहले नंबर पर है . स्विश बैंक एसोसिएसन के अनुसार भारत का काला धन अन्य सभी देशो को अन्य सभी देशो से ज्यादा है .
अभी प्रमुख घोटालों में टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला, राष्ट मंडल खेल घोटाला, आदर्श घोटाला ................. है.
आज भ्रस्टाचार को शिष्टाचार बनाने की कोशिश की जा रही है.
लेकिन अब हमको इसे रोकना ही होगा. पहले शायद हमको इतने घोटालो के बारे में पता भी नहीं चलता था. लेकिन "सूचना का अधिकार" कानून से कोई न कोई भारतीय नागरिक दबी फाइलों से इन घोटालो को बाहर निकाल ही लेता है. और सच उजागर हो जाता है.
इस समय सूचना के अधिकार के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है पर आये दिन सूचना मांगने वाले लोगो पर हमले की खबरे भी आती रहती है. सरकार को उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए .
अब हम सबकी उम्मीदे जन लोकपाल बिधेयक पर टिकी है. बड़े बड़े नेता रोकने की कोशिश कर रहे है पर हमको अपने अपने स्तर से विधेयक के आने के लिए प्रयास करना चाहिए . कम से कम अन्ना हजारे का समर्थन तो कर ही सकते है.
नेता जी( एम पी , एम एल ए या ......... ) बड़े है या रेल चालक आम आदमी तो यही कहेगा की नेता जी . आखिर कहे क्यों नहीं नेता जी देश चलाते है और चालक रेल .
हुआ यूँ कि भूतपूर्व संसद सदस्य विजय गोयल मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन करने के लिए दिल्ली -अजमेर शताब्दी एक्सप्रेस से जा रहे थे. बालाजी के दर्शन करने के लिए सबसे पास का रेल स्टेशन है बांदीकुई .पर शताब्दी एक्सप्रेस तो वहां रूकती नहीं है . ट्रेन उसको पार कर जाये वो भी बिना नेता जी को उतारे हुए वह भी मुश्किल . सो नेताजी की इच्छा समझ कर चमचो ने ट्रेन रुकवा दी . ट्रेन भी चमचो की कृपा से अपने आप को भाग्य शाली समझ कर नेता जी का आशीर्वाद ले कर आगे बढ़ी.
जबकि उसी दिन मुंबई छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और पुणे के बीच भी ट्रेन चलती है प्रगति एक्सप्रेस. प्रगति एक्सप्रेस में भी एक घटना होती है. उस दिन प्रदीप कुमार प्रगति एक्सप्रेस के चालक होते है. . प्रदीप कुमार उस समय घायल हो गए जब घाटकोपर रेलवे स्टेशन पर एक पत्थर से उनको चोट लग गयी . प्रदीप को हाथ और छाती में काफी चोट लगी थी.प्रदीप के पास ट्रेन रोकने के पर्याप्त कारण थे पर उन्होंने ट्रेन को कल्याण तक चलाना उचित समझा क्योंकि उनकी ट्रेन के बीच में रुकने से शाम के समय कई लोकल ट्रेन को भी रुकना पड़ता . प्रदीप ने कल्याण स्टेशन पर दूसरे ड्राईवर की व्यवस्था करने का सन्देश अपने अधिकारीयों को दिया और स्वयं कल्याण स्टेशन तक ट्रेन चलाते हुए पहुंचे .
एक ही दिन भारतीय रेल ने हमें दो विपरीत उदाहरण दिए. एक नेता जी " अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता " और दूसरा एक ड्राईवर जिसने आम लोगो की तकलीफ को अपनी तकलीफ से ऊपर रखा.
" जब जापान जैसे विकसित देश में, जहाँ सुरक्षा को इतनी प्राथमिकता दी जाती है, वहाँ इतना बड़ा हादसा हो सकता है, तो भारत की क्या हैसियत है...."
जैतापुर का हर नागरिक यही सोच रहा है और हम सभी भारतीयों की सोच भी यही कहती है कि जब फुकुशीमा(जापान) से रेडीएशन फैल सकता है तो भारत की क्या बिसात है.
फिर भी भारत में इतने उदारवादी एवं भारत कि तकनीक पर भरोसा करने वाले लोग तो है ही जिन्होंने भारत के पुराने रीएक्टर को तो बंद करने का प्रयास नहीं किया है.
भारत दुनिया में बिजली खर्च करने में छठे स्थान पर है . सबसे अधिक बिजली थर्मल पॉवर प्लांट से आती है (लगभग 65%) और सबसे कम उर्जा (3% से भी कम) नाभिकीय उर्जा से आती है. जापान जैसे देश में लगभग 25% उर्जा का स्त्रोत नाभिकीय उर्जा है. भारत अभी भी सौर उर्जा और वायु उर्जा से जरूरते पूरा करने का प्रयास कर ही रहा है.
दिसंबर 2010 में भारत की उर्जा उत्पादन क्षमता 165000 मेगा वाट थी और भारत का उर्जा उत्पादन का लक्ष्य सन २०३० में 950000 मेगा वाट है. अभी भी भारत का सम्पूर्ण उर्जा उत्पादन सम्पूर्ण उर्जा जरूरतों को पूरा करना में असमर्थ है. यही कारण है की भारत के विभिन्न भागो में बिजली कटौती की समस्या है और कई भागो में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है.
हमें यदि तरक्की करनी है तो उर्जा चाहिए हमें भारत के सारे शहर मुंबई और दिल्ली जैसे बनाने है ,जहाँ यदि कुछ समय के लिए भी बिजली चली जाये तो वह अखबारों और टी वी चैनलों की सुर्खिया बन जाती है. तरक्की इतनी आसन भी नहीं है.
सन २००६ में उत्तराखंड में टिहरी नामक स्थान पर एक बांध बन कर तैयार हो गया. यह बांध बनाने का प्रोजेक्ट १९६१ से प्रारंभ हुआ , निर्माण कार्य प्रारंभ होते होते १९७८ हो गया और पूरा होते होते २००६ हो गया . इस बीच परियोजना का पुर जोर विरोध हुआ. यहाँ तक कहा गया की एक भूकंप दिल्ली तक को डूबा सकता है.
पर लोगो के पुनर्वास का पूरा पूरा प्रबंध किया गया. उनके रोज़गार के भी प्रबंध किये गए. परन्तु यही मदद काफी नहीं होती है हमें जनता का भावनात्मक समर्थन प्राप्त करना भी आवश्यक होता है.
बाद में टिहरी के लोगो ने भी सरकार के समर्थन का फैसला किया. टिहरी क्षेत्र के लोग अपने अपने घर को छोड़कर नई टिहरी में चले गए. पुराने शहर का डूबना या डूबते रहना खबरों में था. कुछ ही समय में पुराना टिहरी डूब गया
डूबते टिहरी को देखते लोग
टिहरी बांध
पुराने टिहरी का घंटाघर डूबते हुए.
हमको यदि जैतापुर में परमाणु संयंत्र चाहिए.तो हमें वहां के लोगो के विश्वास में लेना ही होगा . जैतापुर के लोग जापान की त्रासदी के बाद ज्यादा भावुक हो गए है . यहाँ सरकार को लोगो की मनोदशा समझते हुए कदम उठाना चाहिए. शायद सरकार के सार्थक प्रयासों से जैतापुर के लोग भी टिहरी के लोगों के तरह सरकार के साथ हो जाये
एक बार फिर से बरेली सुर्खियों में था . एक बार फिर सुर्खियों में नौकरी , बरेली और भारतीय रेल भी सुर्ख़ियों में था. अरुणिमा सिन्हा जो वॉलीबॉल खिलाडी है और उत्तर प्रदेश की ओर से खेल रही थी केंद्रीय आद्योगिक सुरक्षा बल में भर्ती के लिए जा रही थी . बरेली के पास किसी व्यक्ति ने उसका सोने का चैन खीचने का प्रयास किया और उसके द्वारा विरोध करने पर उसको धक्का दे दिया जिससे उसका बांया पैर जाता रहा. रेलवे ने जाँच के आदेश दे दिए है. पर कुछ सवाल है
१. संभवतः अरुणिमा सामान्य श्रेणी में यात्रा कर रही थी. जहाँ शाहजहांपुर , बरेली ,रामपुर, मुरादाबाद के बीच स्थानीय लोग अगले स्टेशन पर उतरना है कहकर चढ़ जाते है .
२. यह स्थानीय बदमाशो का काम हो सकता है जो ट्रेन के अगले विराम पर उतर कर भाग जाते हो.
३. भारत के सामान्य नागरिक की स्वयं की समस्या ही समस्या होती है , किसी दूसरे की समस्या तो उसको दिखाई ही नहीं देती है.
४. हम रेल में सोने की चैन पहन कर यात्रा नहीं कर सकते, ये तो आम घटना है.
इस समय अरुणिमा का इलाज दिल्ली के एम्स में चल रहा है और लखनऊ में इलाज के दौरान उसके कटे हुए पैर में संक्रमण फैल गया था. उसका हिमोग्लोबिन काफी कम हो गया है. फिर भी उसकी हालत स्थिर है
सही मायनों में गलती किसकी है.
अब तो हम सबको बदलना ही होगा...? ताकि और कोई अरुणिमा किसी और रूप में अब शिकार न हो.
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए
दुष्यंत कुमार की ये पंक्तिया हमेशा हमको अपने जहन में रखनी होगी...
वाराणसी (एसएनबी): हनुमान ध्वजा प्रभात फेरी द्वारा संकट मोचन मंदिर में 1111 किलो का विशाल मोदक भक्तों के दर्शन के लिए रविवार को प्रात:काल पांच बजे सुशोभित किया गया। इस अद्भुत मोदक के दर्शन के लिए सुबह से लेकर देर रात्रि तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी रही। रुद्राक्ष और गुलाब के फूलों की माला-फूल व तुलसी से सजे लड्डू पर हनुमान जी के चार विभिन्न रूपों को विराजित किया गया था, जिसमें माता अंजनी की गोद में बाल हनुमान, सूरज को निगलते बाल हनुमान, प्रभु राम का ध्यान लगाये भक्त हनुमान और सीने में राम-सीता का दर्शन कराते भक्त हनुमान की अप्रतिम झांकी के दर्शन कर श्रद्धालु भाव विभोर हो गये। मोदक लड्डू को पिघलने से बचाने के लिए चार कूलर लगाये गये है। सायंकाल पांच बजे पाणिणी कन्या विद्यालय की छात्राओं द्वारा सस्वर वेद पाठ किया गया। वहीं, दिल्ली के कलाकारों ने बर्फ की सिल्लियों पर शिव ताण्डव की अनुपम प्रस्तुती दी। इस दौरान मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ जुटी रही। इस दौरान कुछ श्रद्धालुओं का कहना रहा कि उन्होंने जीवन में पहली बार इतने विशाल लड्डू का दर्शन किया है। रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से हनुमान जी के दरबार में हाजिरी लगाने आये श्रद्धालुओं के जत्थे में शामिल दर्शनार्थियों का कहना रहा कि इस विशाल लड्डू का नाम गिनीज बुक ऑफ र्वल्ड रिकार्ड में दर्ज किया जाना चाहिए। यह वाकई में अद्भुत है। इस अवसर पर समिति के मीडिया प्रभारी सुरेश तुलस्यान ने बताया कि हनुमान जयंती पर 18 अप्रैल को यह लड्डू हनुमान जी के चरणों अर्पित किया जायेगा।
यह समाचार सहारा न्यूज ब्यूरो के द्वारा सहारा समय १८ अप्रैल के वाराणसी अंक में प्रकाशित किया गया है.
हम सभी तो यह बात जानते ही है की हनुमान जी लक्ष्मण के घायल होने की स्थिति में उनके प्राण बचने के लिए संजीवनी बूटी को लाने के लिए निकले और वहाँ पर संदेह की स्थिति में पूरा का पूरा पर्वत ही ले के लंका पहुँच गए . हम तो कह ही सकते है की रुद्रावतार भी भोलेनाथ की तरह भोले ही है . वाराणसी के लोग भी भक्ति भाव में बिलकुल भी कम नहीं है वे देश के सांस्कृतिक राजधानी का प्रतिनिधित्व करते है . इसलिए वाराणसी के लोगो के द्वारा किया गया प्रयास सराहनीय है.
कलयुग के जीवंत देवता हनुमान है. आज सबसे अधिक पूजा हनुमान जी की होती है. हनुमान जे के राम प्रेम का तो कहना है क्या है वे तो राम की अनन्य भक्ति में रमे हुए है. इस सम्बन्ध में एक प्रसंग याद आ गया. एक बार माता सीता अपनी मांग में सिन्दूर भर रही थी. हनुमान जी ने उन्हें ऐसा करते देखा तो भोलेपन में पूछ बैठे माता आप अपने सर में क्या लगा रही है.माता सीता ने उन्हें बताया की पुत्र इसे लगाने से श्रीराम जी की प्रीती और भक्ति मिलेगी . हनुमान जी ने मन ही मन में सोचा की माता यदि थोडा सा सिन्दूर लगा के प्रभु की प्रिय बन सकती है तो फिर में अपने पूरे शरीर पर इसका लेप लगा लूँगा. और फिर उन्हें एक बोरा सिन्दूर अपने ऊपर उढेल लिया . आज भी हनुमान जी सिन्दूर अर्पित करने से विशेष प्रसन्न होते है. भगवान राम भी उन्हें बहुत स्नेह करते है. रामचरित मानस में एक प्रसंग है कि जब हनुमान जी सीता का पता लगा कर प्रभु के पास वापस आते है तो वे आनंदित होकर उन्हें गले लगा लेते है और कहते है "सुनु कपि तोहि समान उपकारी , नहिं कोऊ सुर नर मुनि तनुधारी ... " सुनु सुत तोहि उरिन में नाहीं, देखेउँ करि बिचार मन माहि . इस प्रकार दोनों में अनन्य प्रेम था और राम उन्हें भाई भरत के समान स्नेह करते थे .आप सब लागों को हनुमान जयंती कि शुभ कामनाये.
पिछले दिनों एक व्यक्ति जो सबसे ज्यादा खबरों में छाया रहा और वह व्यक्ति न तो कोई बड़ा राजनेता था. न ही कोई उद्योगपति , क्रिकेटर या फिल्मी हस्ती . इस व्यक्ति को पूरे भारत ने अपना समर्थन दिया . जी हाँ यह व्यक्ति है श्री अन्ना हजारे ...ये पेशे से पहले भारतीय सेना में वाहन चालक थे. सेना से सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने देश के प्रति सोचना आरम्भ कर दिया .पहले उन्होंने अपने गाँव , जिला और राज्य स्तर पर कार्य किया और इस तरह से उनके सोच का दायरा बढ़ता ही गया. सूचना का अधिकार २००५ भी इनके ही प्रयासों का परिणाम है . कुछ दिन पहले की घटना से तो आप सब लोग अवगत होने ही की किस तरह उनके एक आवाहन पर सम्पूर्ण भारत ही उनके पीछे खड़ा हो गया. पुरे देश में लोग अपने स्तर पर इस आन्दोलन का हिस्सा बन चुके थे .
इस विडियो को नब्बे हज़ार से भी अधिक लोगो ने इन्टरनेट के माध्यम से देखा था. चार दिन के बाद सरकार ने अपने घुटने टेक दिए और जन लोकपाल विधेयक से सम्बंधित अन्ना की सभी मांगे मान ली गयी . कुछ राजनेताओ ने अलग अलग ढंग से जब जन लोकपाल को भ्रस्टाचार की समस्याओं का हल नहीं माना तो अन्ना ने उनको इस मुहीम से अलग हो जाने को कहा .
"अगर आप समस्या का हल नहीं है तो आप स्वयं ही समस्या है " शिव खेर की ये बात राजनेताओ को तो अच्छी तरह से समझना ही पड़ेगा.
शिव खेर के ये विडियो देखिये और आप भी तैयार रहिये अपने स्तर पर .........
शहर की इस दौड़ मैं दौड़ना क्या है ..............
अगर यही है जिंदगी तो मारना क्या है ................
इस विडियो के एक एक शब्द आज हमारी दिनचर्या या जीवन शैली का वर्णन करते है." मोबाइल और लैंड लाइन की भरमार है पर दोस्त तक पहुंचे ऐसे तार कहाँ है "
इस वीडियो में हमने एक पंक्ति सुनी "इन्टरनेट की दुनिया से तो टच में है पर पड़ोस में कौन है जानते तक नहीं "
आप लोग समझ ही गए होंगे की हम नॉएडा के दो बहनों की घटना का जिक्र कर रहे है.
खुद को करीब सात महीने तक अपने है घर मैं कैद रखने वाली दो बहने सोनाली और अनुराधा को आख़िरकार एक समाजसेवी संगठन की सहायता से अपने ही कैद से आजाद कराया गया . बड़ी बहन अनुराधा का निधन बुधवार सुबह को अस्पताल में दिल का दौरा पडने से निधन हो चुका है उधर देर शाम को सोनाली की भी हालत बिगड़ गई . डाक्टरों के अनुसार उसका रक्तचाप गिर गया है और वह कुपोषण , निर्जलीकरण और अवसाद से ग्रसित है पुलिस का कहना है की माता पिता की मौत और छोटे भई के दूर चले जाने के कारण अनुराधा और सोनाली अवसाद ग्रस्त हो गए थे.अपने ही छोटे भाई से मतभेद के कारण वह अलग रह रहा था. उनका पालतू कुत्ता भी छ महीने पहले मर गया था . अब सवाल ये उठता है की इस परिस्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है ? माता पिता की मौत या भाई की बेरुखी या खुद वह बहने या उनके आस पास का सामाजिक परिवेश .दोनों बहने उच्च शिक्षा प्राप्त थी तो भी आत्म निर्भर न बन सकी .हमारे आधुनिक समाज में सुशिक्षित महिलाये परिस्थिति वस् अगर इतनी अवसाद ग्रस्त और असहाय महसूस कर सकती है तो फिर भारत की आम महिलाओं का क्या? ..
(जिनके स्मरण से सारे कार्य सिद्ध होते है......वे मुझपे कृपा करे .)
धर्म के प्रति लोगो की अतिशय ग्लानी देख कर पृथ्वी अत्यंत व्याकुल हो गई और सोचने लगी की पर्वतो नदियों और समुद्रों का बोझ मुझे इतना भारी नहीं जान पडता है जितना भारी मुझे एक परद्रोही लगता है . सारे धर्मो को विपरीत देख कर हृदय में सोच विचार कर गौ का रूप धारण कर धरती वहाँ गई जहाँ सभी देवता और मुनी छुपे हुए थे . पृथ्वी ने रो कर अपना दुःख सुनाया पर किसी से कुछ काम न बना . अंत में ब्रह्माजी के सुझाव से सारे देवताओं ने शरणागत की रक्षा करने वाले भगवान श्री हरि की स्तुति आरम्भ की ....
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनत पल भगवंता ......
जानि सभय सुर भूमि सुनि बचन समेत सनेह ..
गगनगिरा गंभीर भइ हरनि सोक संदेह..
उसी समय आकाशवाणी हुई हे मुनि,सिद्ध और देवताओं के स्वामी डरो मत , तुम्हारे लिए मैं मनुष्य का रूप धारण करूँगा ..
पवित्र चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन ज ब न तो बहु त सर्दी थी न बहुत गर्मी थी . वो पवित्र समय सब लोगो को शांति देने वाला था . उस समय दीनदयाल प्रभु प्र कट हुए .
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला .....
विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार
अब शुरू तो ब्लॉग कल से ही करना था पर कुछ कारणों से आज से ये कार्य आरम्भ हुआ है.आप लोगो को रामनवमी की ढेर सारी शुभकामनाये . कल का दिन हमारे मिथिलांचल में जुड़शीतल पर्व मनाया जाता है.इस दिन हमारे यहाँ बड़े लोग अपने से छोटो के सर पर जल सहित हाथो का स्पर्श कर के आशीष देते है और बड़ी -भात व्यंजन बनाया जाता है. इस दिन को टटका पावन और इसके दूसरे दिन को बसिया पावन कहते है और यही बड़ी-भात दूसरे दिन बासी खाते है. इस दिन पेड़ पौधों को भी बड़ी-भात और पानी दिया जाता है.मैंने भी अपने बचपन में बहुत से आम और कटहल के पेड़ो को जुराया है . इस दिन हमारे यहाँ लोग कीचड़ पानी से होली भी खेलते है.
कल के दिन सबको हमारे पर्वो जुड़शीतल, बैसाखी , बंगला नव वर्ष , विशु .......आदि की शुभकामनाये .