स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

गुरुवार, 14 जुलाई 2011

फिर दहला मुंबई

मुंबई में आज शाम सात बजे के आस पास दस मिनट के अन्तराल में  तीन बम धमाके हुए . ये धमाके ओपेरा हाउस, जवेरी बाजार और कबूतरखाना में हुए .

 बम धमाकों में इक्कीस लोगों के मारे जाने की खबर है और एक सौ तेरह लोग घायल हैं (पोस्ट लिखने तक ) . जिस तरह से इस घटना को अंजाम दिया गया है उससे फिलहाल पुलिस को  इन्डियन मुजाहिद्दीन पर शक है.
 ये तीनो ही क्षेत्र बहुत ही भीड़ भाड़ वाले हैं इसलिए अधिक लोग इस धमाके से प्रभावित हुए .




मुंबई पुलिस के प्रवक्ता निसार तांबोली ने कहा कि पहला विस्फोट दक्षिण मुंबई के जावेरी बाजार में हुआ जो प्रसिद्ध मुंबादेवी मंदिर के पास है। ओपरा हाउस भी दक्षिण मुंबई में ही  है। मध्य मुंबई के दादर वेस्ट में कबूतरखाना इलाके में हुए विस्फोट में अनेकों लोग घायल हो गए। शहर भर में विस्फोटों के बाद हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।

इस समय हम सभी को जागरुक रहने की आवश्यकता है . विशेष कर मुंबई वासियों से अनुरोध हैं कि यदि आवश्यकता न हो तो घर से बाहर न निकले . ये बात तो सब पर लागू नहीं हो सकती है क्योंकि मुंबई में लोग बहुत दूर दूर के उपनगरीय क्षेत्रों से आकर नौकरी करते है.. इसलिए निम्न बातों का ध्यान रखे 
हमेशा सतर्क रहें .
हमेशा अपनी सुरक्षा करते हुए दूसरे का भी ध्यान रखे.
कोई संदेहास्पद वस्तु पाए जाने पर तुरंत पुलिस को सूचना दे
अपने आसपास की गतिविधियों का विशेष ध्यान रखें.
संचार के किसी भी माध्यम से लोगों के संपर्क में रहें.
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यदि और भी कोई सुझाव है तो आप भी लोगों को बताएं.

हमें सोचने की आवश्यकता है कि हमारे देश में कुछ दिनों के अन्तराल पर कोई न कोई आतंकी हमला क्यों  होता रहता है ? इस विषय में हम बाद में बातें करेंगें. 


ये घटना उस समय की है जब मुंबई की सड़को पर सबसे ज्यादा भीड़ होती है. लोग दफ्तरों से लौट रहे होते है या फिर लोग अपने परिवार के साथ घूमना फिरना पसंद करते है.इस प्रकार की घटना  मानव -निर्मित आपदा की श्रेणी में आती है,लेकिन इस तरह की आपदा से लोग अंजान होते है. इस प्रकार की घटना के बाद में लोग सबसे पहले अपने परिजनों से संपर्क करना चाहते है.

 आज शाम को मैं  भी काफी परेशान रही क्योंकि मेरे पति भी बाहर गए हुए थे और उनसे मोबाईल पर बात नहीं हो पा रही थी. आज भी कई लोगों  ने फेसबुक और ट्विट्टर के माध्यम से इस कठिन समय में अपने मित्रों और परिजनों से संपर्क बनाये रखा.

  सरकारी तंत्रों द्वारा इस प्रकार की आपदा की स्थिति में  सुरक्षा कारणों से  मोबाईल के नेटवर्क जाम कर दिए जाते है.  इस विषय मुझे  ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए ज्यादा बात नहीं करुँगी. मगर एक सुझाव है.
संपर्क के लिए ध्वनि सन्देश  (voice message ) का उपयोग करें .

जिस प्रकार आपने मोबाईल पर विज्ञापन सुने है उसी प्रकार इस स्थिति में हर मोबाइल ओपरेटर से एक  ध्वनि सन्देश ( voice message ) भेजना चाहिए जो इस प्रकार हो.
पुलिस ---------से प्राप्त सूचना के अनुसार ----------------पर बम धमाका हुआ है .आप से अनुरोध है कि आवश्यकता होने पर ही घर से बाहर निकले . अफवाहों  पर ध्यान नहीं दे. यदि आपके पास कोई सूचना हो तो पुलिस सहायता केंद्र से xxxxxxxxxxxx नंबर पर संपर्क करें .

कुछ हद तक इन उपायों से राहत जरुर मिलेगी .यदि आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें भी बताएं .
 इस आपदा में मारे गए लोगों को हमारी ओर से श्रद्धांजलि . वैसे सही अर्थों में तो उनको सच्ची श्रद्धांजलि तब मिलेगी जब अपराधियों को सजा मिल जाएगी.


24 टिप्‍पणियां:

दिवस ने कहा…

बहन रेखा जी, यह सब सच में बेहद निंदनीय है| आखिर कब तक हमारे अपने लोग इसी प्रकार मरते रहेंगे? क्या भारत की जनता बम धमाकों में मरने के लिए ही पैदा होती है?
दरअसल १३ जुलाई अजमल कसाब के जन्मदिन पर इन जिहादियों ने यह कुछ आतिशबाजी की है| मैं पूरे दावे के साथ कह सकता हूँ कि बिना किसी मिलीभगत के इस काम को अंजाम देना असंभव है|
मेरी एक पोस्ट पर आपके विचार प्राप्त हुए थे|http://www.diwasgaur.com/2011/06/blog-post_14.html
जब सरकार खुद जिहादियों से मिली हो तो भला कौन सुरक्षित है इस देश में| बता नहीं सकता कि कितना दुःख है अपने लोगों को खो देने का|

किन्तु मैं इस पक्ष में नहीं हूँ कि लोग छिप कर घरों में बैठ जाएं|
जयपुर में जब बम धमाके हुए थे तो देखा पूरा शहर ही घरों में छिपा बैठा है| मुझे भी बहुत से लोगों ने कहा कि आज कहीं मत जाना| फिर भी मैं आवश्यकता न होने के बावजूद शहर की सड़कों पर भटकता रहा| रक्तदान केंद्र जाकर रक्त दान किया| क्यों कि समाचारों में बार बार यही आ रहा था कि जयपुर के ब्लड बैंकों में ब्लड की भारी कमी है और इस विपदा से निकलने के लिए जयपुर वासियों से अनुरोध है कि रक्तदान करें|
अरे अगर मैं घर में छिप कर बैठ गया तो इन आतंकवादियों का मकसद तो पूरा हो गया न| इनका मकसद था आतंक फैलाना और वे इसमें कामयाब हो गए, यह देख कर कि लोग तो घरों में छिपे बैठे हैं| यह कैसे हो सकता है कि मैं अपने ही देश में डरा सहमा रहूँ और वे बाहर से आकर भी बेख़ौफ़ घुमते रहें?

Smart Indian ने कहा…

अत्यधिक दुखद घटना। आपके सुझाव और टिप्पणी में दिवस के सुझाव दोनों ही अनुकरणीय हैं। आभार!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ये बहुत ही दुःख भरी खबर है ... सब के सोचने का विषय है ... इसमें सरकार की भूमिका भी महत्वपूर्ण है ... अगर वो काम करे तो ...

ZEAL ने कहा…

घोर निराशाजनक काण्ड. अपने देश के संचालकों से अब कोई अपेक्षा नहीं है . भगवान् भरोसे जो जब तक जीवित बच जाए वही बहुत है. आपके सुझाव उपयोगी हैं . दिवस सी की बात से सहमत हूँ.

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

मैंने सुबह भी लिखा था आपके टिप्पणी बाक्स में पब्लिश न हुआ.
आपकी 'विद्रोही स्व-स्वर में'की टिप्पणी हेतु धन्यवाद ,इससे पहले वाले पोस्ट में महत्वपूर्ण जानकारियाँ भी थीं.

'क्रान्तिस्वर'में मैंने अपने ०२ जुलाई के लेख में ऐसी आशंकाएं व्यक्त की थीं और १२ जुलाई वाले लेख में उनकी अवहेलना के पर्नामों की और भी ध्यान दिलाया था.

जो कुछ हुआ या होगा ग्रहों का परिणाम है-
समय करे,नर क्या करे,समय बड़ा बलवान.

असर ग्रह सब पर करें,परिंदा-पशु-इंसान..

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत दुखद घटना है....

virendra sharma ने कहा…

आपकी समाज सापेक्ष दृष्टि काबिले तारीफ़ है .सुझाव सीधा साधा है -सेक्युलर शब्द जो भारतीय संविधान की निर्मल काया पर इंदिरा जी रोप गईं उसे हटा दिया जाए .इस एक शब्द ने हिन्दुस्तान को आज यहाँ लाकर खडा कर दिया है .अपने ही "इंडियन मुजाहिदीन "घात लगाके वार करतें हैं और सेक्युलर कहातें हैं .कोई इन पर प्रति -बंध की बात करे तमाम रक्त रंगी ,लालू -मुलायम -बाहर आजातें हैं अपने दड़बों में से .राहुल साफ़ कह रहें हैं ऐसे विस्फोट तो होते रहतें हैं .यह इस देश का भावी .........और भवितव्य .आये दिन लोग कहतें हैं आतंक वादी का कोई धर्म नहीं होता .
बात साफ़ है वह धर्म -निरपेक्ष (सेक्युलर )होता है .आपकी खबरदार सराहनीय है रेखा जी .हमें भी लौट के कोलाबा ,नेवी नगर में ही जाना है अगस्त के तीसरे हफ्ते तक .लदे के एक मुंबई और दूसरा बेंगलुरु ही कोस्मोप्प्लितन है जहां सिविलिती दिखलाई देती है बे -खौफ हम रात -बिरात मेरीन ड्राइव का चक्कर लगा जातें हैं .लॉन्ग ड्राइव पर ले आतें हैं हमारे कमांडर पुत्र .

रेखा ने कहा…

दिवस जी इस प्रकार की घटना से किसी के भी मन में थोडा भय उत्पन्न हो सकता है. जब इस प्रकार के धमाके एक के बाद एक लगातार होते है तो भय और बढ़ जाता है. परिवार का कोई सदस्य यदि बाहर हो तो अपनों के खोने का भय सताने लगता है. घर में रहने से मेरा मतलब छुप के बैठने से नहीं था वैसे भी मुंबई के लोग तो शायद छुप कर बैठते ही नहीं है चाहे दिन हो या रात. (सच कहें तो मुझे भी आपके सामान बहादुर बनने की जरुरत तो है थोड़ी डरपोक तो मैं हूँ .)

दिवस ने कहा…

आदरणीय बहन रेखा जी, मैं आपकी बात से सहमत हूँ कि ऐसे माहौल में भय उत्पन्न होना स्वाभाविक है| हम लोग कोई राजनेता तो हैं नहीं जो हमे Z+ सुरक्षा मिलेगी| हम तो आम भारतीय हैं, जिन्हें हर प्रकार की मुसीबतों को झेलना है|
मेरा सन्दर्भ केवल इतना था की ऐसे समय में भय से नहीं संयम से काम लेना चाहिए|
मैं नहीं चाहता की किसी भी परिस्थिति में आतंकवादियों का मकसद हल हो जाए|

और हाँ, आप बिलकुल भी डरपोक नहीं हैं| कोई भी भारतीय स्त्री डरपोक हो ही नहीं सकती| यह भारतीय स्त्री का साहस ही है जो उसने वीर बहादुरों को जन्म दिया है|
पुरुष तो यह सब माँ के गर्भ से ही सीख कर आता है|
एक वीर की सबसे बड़ी प्रेरणा उसकी माँ होती है| माँ केवल जन्म देने वाली स्त्री हो यह आवश्यक नहीं|
आप माँ हैं| हमने तो यह गुण आपसे ही पाया है|

मैं तो यह मानता हूँ कि परिवर्तन का माध्यम तो स्त्री ही है, हम तो केवल साधन हैं|

अत: आप डरपोक नहीं हैं| क्योंकि यदि आप डरपोक हैं तो हम भी डरपोक ही रहेंगे|

अंतर केवल इतना ही है कि स्त्री अपना साहस अतनी जल्दी दिखाती नहीं है|मैं मेरी माँ का सन्दर्भ देना चाहता हूँ|
मेरी माँ को तो पता भी नहीं था की बाबा रामदेव के आन्दोलन में मैं भी लाठियां खा कर आया हूँ| आन्दोलन के कुछ दिनों बाद मेरा मेरे घर बीकानेर जाना हुआ| उस समय मेरी मम्मी ने मेरे कंधे व पीठ पर पड़े लाठियों के निशान देख लिए| एक बार तो वो भी घबरा गयीं, किन्तु शीघ्र ही उन्हें मेरी बात भी समझ आ गयी| उन्होंने मुझे कभी भी कहीं भी जाने की आज्ञा दे डाली|
ऐसा नहीं है की यह गुण मेरी माँ में ही है| यह गुण आपमें भी है| हर भारतीय स्त्री में यह गुण है|
आप डरपोक नहीं हैं|



मुंबई हमलों पर मैंने अभी एक और पोस्ट लिखी है| आप जरुर देखिएगा| आशा है आपको अवश्य ही पसंद आएगी|

रेखा ने कहा…

आप भारतीय नारी के प्रति इतना सम्मान रखते है , यह नमन करने योग्य है.

Dr Varsha Singh ने कहा…

बहुत दुखद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है....
इस आपदा में मारे गए लोगों को मेरी भी हार्दिक श्रद्धांजलि है.

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत दुखद घटना है..

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

आपकी सलाह सर-माथे पर,पर सरकार माने तब ना !

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

रेखा जी आपको नमन !आपका ब्लॉग पर आना अच्छा लगा आपका ब्लॉग और आपके विचार हमें अच्छे लगे बधाई |मुबई की घटना पर एक राष्ट्र गीत मेरे ब्लॉग छान्दसिक अनुगायन पर है |समय हो तो देखिएगा |आभार

Satish Saxena ने कहा…

अच्छा और प्रभावी लिखती हो ....
शुभकामनायें आपको !

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

आदरणीय बहन रेखा जी,
इस हादसे में मारे गए लोगों को मेरी भी श्रद्धांजलि है और मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है ओर यह एक बहुत दुखद घटना है.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

बहुत दुःख हुआ ...
जाने कब तक निर्दोषों की हत्या होती रहेगी और आतंकवाद हमें आत्मिक क्लेश देता रहेगा |
सरकार के साथ साथ हम सबको इसके खात्मे के बारे में गंभीरता से विचार करके अमल में लाना होगा |

Arunesh c dave ने कहा…

मोबाईल कंप्निया निश्चित ही ऐसे अवसरो पर बड़ी भूमिका निभा सकती हैं । सरकार को भी ऐसी परिस्थितियो के लिये नेटवर्क जाम न हो ऐसी व्यव्स्था करनी चाहिये

Suman ने कहा…

sach me bahut dukhad hai yah ghatna.......

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बेहद चिंताजनक.

सुधीर राघव ने कहा…

दहलता है, संभलता है, यही मुंबई है...

abhi ने कहा…

इस बार तो मेरे बहुत ही करीबी मित्र के बड़े भाई भी हमले का शिकार हुए..

हाँ, वैसे ट्विट्टर और फेसबुक जैसे सोशल नेटवर्किंग साईट से लोगों को मदद भी मिली..

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

Darshan Kaur Dhanoe
तेरा-सात का मनहुस आंकड़ा ?
फिर हुआ मुम्बई पर प्रहार ?
होली खेली खून से ,
हो गई मुम्बई लाल,
लाल मिलाकर पानी में,
ज़ामो में दिया ढाल,
जश्न मनाया कसाव का,
काटे केक हजार,
परेशान मुम्बईकर,
अब क्या करेगी सरकार --
कहत'दर्शन ' कवीराय,एक दिन ऐसा आएगा --
पैदा होगा कोई 'भगत',
संहार कर सूली चड़ जाएगा !!!
कायरता के वाशिन्दो !
होगा बुरा हाल --
एक दिन तुमको भी खुद,
देना होगा खुदा को साक्षात्कार !!!

मुम्बई कर में जोश बहुत है रेखा...इन से हम डरने वाले नही है ..

रेखा ने कहा…

दर्शन कौर जी आपके जज्बे को सलाम. मुंबई के लोग आतंकियों के मनसूबे को कभी कामयाब नहीं होने देंगे.