स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

ये कैसी आपदाएं

सबसे पहले मैं  आप लोगों से माफ़ी चाहती हूँ कि कुछ निजी कारणों से कोई नया पोस्ट नहीं लिख पाई साथ ही टिप्पणीयां  देने में भी बीच-बीच में रुकावटें  आती ही  रही. उम्मीद है कि अब लगातार आप लोगों से मैं  जुडी रहूंगी .आज की पोस्ट बंगाल की घटनाओ पर आधारित है. 


बंगाल प्राकृतिक आपदा पीड़ित प्रदेशों में से एक माना जाता रहा है परन्तु हाल फिलहाल में यहाँ  मानव निर्मित आपदाएं कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं . जहरीली शराब कांड से पहले बड़ी संख्या  में अस्पतालों में शिशुओं की मृत्यु हुई , इसके बाद अस्पताल में हुए अग्नि कांड में बड़ी संख्यां में हुई मौत से बदइन्तजामी सामने आ गई . आग के सिलसिले में ऐसे लोगों को हिरासत में लिया गया जो नामी कंपनियों से ताल्लुक रखते है साथ ही निजी अस्पताल भी चलाते हैं . आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम  न होने के कारण ऐसी त्रासदी हुई.  इसके तुरंत बाद ही जहरीली शराब कांड से मौत का भीषण तांडव देखने को मिला . 

कोलकाता से  52 किमी दूर दक्षिण 24 परगना जिले के मगराहट ब्लॉक  के संग्रामपुर क्षेत्र में यह घटना हुई . रेलवे स्टेशन के निकट अवैध शराब की दुकान पर देशी शराब पीने  के बाद बैचेनी , तेज पेट दर्द महसूस होने के बाद लोगो को अस्पताल में भर्ती कराया गया.

 बदकिस्मती से हमारे देश में ऐसे लाखों परिवार है जहाँ बच्चे भूख से तड़पते रहें , लेकिन दारू की व्यवस्था होनी चाहिए .ऐसे लोगो में रिक्शे वाले , ठेले वाले और मजदूर लोग होते हैं . गाँव में चाहे शुद्ध पेय जल न मिले लेकिन देशी शराब की दूकान जरुर मिल जाती है. हमारी सरकार  भी साल में एक बार मद्य निषेध दिवस मनाकर अपना फर्ज पूरा समझती है और राजस्व  के लालच में अधिक से अधिक शराब की बिक्री को बढ़ावा भी देती है. अपने फायदे के लिए देशी ठेका वाले शराब जैसी चीज में भी हेरा फेरी करने से बाज़  नहीं आते ..  ठेले वाले या मजदूर लोग शराब को अपनी थकान मिटाने का जरिया समझते हैं साथ ही शराब का कम मूल्य होना भी मजदूरों को इस और आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण कारण बन जाता है.  बहुत से  लोग शराब की और अपने मित्रो की गलत संगति के कारण भी आकर्षित हो जाते हैं . 

एक के बाद इस तरह की घटनाओं से पश्चिम बंगाल प्रशासन सवालों के घेरे में नज़र आ रही है . सरकार को जल्दी ही दोषियों के खिलाफ सख्त करवाई करनी चाहिए न की मुआवजा भर दे कर अपनी औपचारिकता पूरी समझनी चाहिए . बिना पुलिस के सहयोग के तो नकली शराब की दुकान कहीं चल ही नहीं सकती इसलिए पुलिस वाले तो सीधे - सीधे जिम्मेदार हैं इसलिए उनकी भी जाँच अवश्य होनी चाहिए. फिलहाल तो सी आई डी जाँच कर रही है आगे देखते हैं क्या होता है ......? 

कम से कम शराब के दुष्प्रभावों के प्रति आम जनता में जागरूकता तो पैदा की ही जा सकती है .