वाराणसी (एसएनबी): हनुमान ध्वजा प्रभात फेरी द्वारा संकट मोचन मंदिर में 1111 किलो का विशाल मोदक भक्तों के दर्शन के लिए रविवार को प्रात:काल पांच बजे सुशोभित किया गया। इस अद्भुत मोदक के दर्शन के लिए सुबह से लेकर देर रात्रि तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी रही। रुद्राक्ष और गुलाब के फूलों की माला-फूल व तुलसी से सजे लड्डू पर हनुमान जी के चार विभिन्न रूपों को विराजित किया गया था, जिसमें माता अंजनी की गोद में बाल हनुमान, सूरज को निगलते बाल हनुमान, प्रभु राम का ध्यान लगाये भक्त हनुमान और सीने में राम-सीता का दर्शन कराते भक्त हनुमान की अप्रतिम झांकी के दर्शन कर श्रद्धालु भाव विभोर हो गये। मोदक लड्डू को पिघलने से बचाने के लिए चार कूलर लगाये गये है। सायंकाल पांच बजे पाणिणी कन्या विद्यालय की छात्राओं द्वारा सस्वर वेद पाठ किया गया। वहीं, दिल्ली के कलाकारों ने बर्फ की सिल्लियों पर शिव ताण्डव की अनुपम प्रस्तुती दी। इस दौरान मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ जुटी रही। इस दौरान कुछ श्रद्धालुओं का कहना रहा कि उन्होंने जीवन में पहली बार इतने विशाल लड्डू का दर्शन किया है। रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से हनुमान जी के दरबार में हाजिरी लगाने आये श्रद्धालुओं के जत्थे में शामिल दर्शनार्थियों का कहना रहा कि इस विशाल लड्डू का नाम गिनीज बुक ऑफ र्वल्ड रिकार्ड में दर्ज किया जाना चाहिए। यह वाकई में अद्भुत है। इस अवसर पर समिति के मीडिया प्रभारी सुरेश तुलस्यान ने बताया कि हनुमान जयंती पर 18 अप्रैल को यह लड्डू हनुमान जी के चरणों अर्पित किया जायेगा।
यह समाचार सहारा न्यूज ब्यूरो के द्वारा सहारा समय १८ अप्रैल के वाराणसी अंक में प्रकाशित किया गया है.
हम सभी तो यह बात जानते ही है की हनुमान जी लक्ष्मण के घायल होने की स्थिति में उनके प्राण बचने के लिए संजीवनी बूटी को लाने के लिए निकले और वहाँ पर संदेह की स्थिति में पूरा का पूरा पर्वत ही ले के लंका पहुँच गए . हम तो कह ही सकते है की रुद्रावतार भी भोलेनाथ की तरह भोले ही है . वाराणसी के लोग भी भक्ति भाव में बिलकुल भी कम नहीं है वे देश के सांस्कृतिक राजधानी का प्रतिनिधित्व करते है . इसलिए वाराणसी के लोगो के द्वारा किया गया प्रयास सराहनीय है.
कलयुग के जीवंत देवता हनुमान है. आज सबसे अधिक पूजा हनुमान जी की होती है. हनुमान जे के राम प्रेम का तो कहना है क्या है वे तो राम की अनन्य भक्ति में रमे हुए है. इस सम्बन्ध में एक प्रसंग याद आ गया. एक बार माता सीता अपनी मांग में सिन्दूर भर रही थी. हनुमान जी ने उन्हें ऐसा करते देखा तो भोलेपन में पूछ बैठे माता आप अपने सर में क्या लगा रही है.माता सीता ने उन्हें बताया की पुत्र इसे लगाने से श्रीराम जी की प्रीती और भक्ति मिलेगी . हनुमान जी ने मन ही मन में सोचा की माता यदि थोडा सा सिन्दूर लगा के प्रभु की प्रिय बन सकती है तो फिर में अपने पूरे शरीर पर इसका लेप लगा लूँगा. और फिर उन्हें एक बोरा सिन्दूर अपने ऊपर उढेल लिया . आज भी हनुमान जी सिन्दूर अर्पित करने से विशेष प्रसन्न होते है. भगवान राम भी उन्हें बहुत स्नेह करते है. रामचरित मानस में एक प्रसंग है कि जब हनुमान जी सीता का पता लगा कर प्रभु के पास वापस आते है तो वे आनंदित होकर उन्हें गले लगा लेते है और कहते है "सुनु कपि तोहि समान उपकारी , नहिं कोऊ सुर नर मुनि तनुधारी ... "
सुनु सुत तोहि उरिन में नाहीं, देखेउँ करि बिचार मन माहि .
इस प्रकार दोनों में अनन्य प्रेम था और राम उन्हें भाई भरत के समान स्नेह करते थे .आप सब लागों को हनुमान जयंती कि शुभ कामनाये.
हनुमान जी हम सब लोगों का कल्याण करेंगे.
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