" जब जापान जैसे विकसित देश में, जहाँ सुरक्षा को इतनी प्राथमिकता दी जाती है, वहाँ इतना बड़ा हादसा हो सकता है, तो भारत की क्या हैसियत है...."
जैतापुर का हर नागरिक यही सोच रहा है और हम सभी भारतीयों की सोच भी यही कहती है कि जब फुकुशीमा(जापान) से रेडीएशन फैल सकता है तो भारत की क्या बिसात है.
फिर भी भारत में इतने उदारवादी एवं भारत कि तकनीक पर भरोसा करने वाले लोग तो है ही जिन्होंने भारत के पुराने रीएक्टर को तो बंद करने का प्रयास नहीं किया है.
भारत दुनिया में बिजली खर्च करने में छठे स्थान पर है . सबसे अधिक बिजली थर्मल पॉवर प्लांट से आती है (लगभग 65%) और सबसे कम उर्जा (3% से भी कम) नाभिकीय उर्जा से आती है. जापान जैसे देश में लगभग 25% उर्जा का स्त्रोत नाभिकीय उर्जा है. भारत अभी भी सौर उर्जा और वायु उर्जा से जरूरते पूरा करने का प्रयास कर ही रहा है.
दिसंबर 2010 में भारत की उर्जा उत्पादन क्षमता 165000 मेगा वाट थी और भारत का उर्जा उत्पादन का लक्ष्य सन २०३० में 950000 मेगा वाट है. अभी भी भारत का सम्पूर्ण उर्जा उत्पादन सम्पूर्ण उर्जा जरूरतों को पूरा करना में असमर्थ है. यही कारण है की भारत के विभिन्न भागो में बिजली कटौती की समस्या है और कई भागो में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है.
हमें यदि तरक्की करनी है तो उर्जा चाहिए हमें भारत के सारे शहर मुंबई और दिल्ली जैसे बनाने है ,जहाँ यदि कुछ समय के लिए भी बिजली चली जाये तो वह अखबारों और टी वी चैनलों की सुर्खिया बन जाती है. तरक्की इतनी आसन भी नहीं है.
सन २००६ में उत्तराखंड में टिहरी नामक स्थान पर एक बांध बन कर तैयार हो गया. यह बांध बनाने का प्रोजेक्ट १९६१ से प्रारंभ हुआ , निर्माण कार्य प्रारंभ होते होते १९७८ हो गया और पूरा होते होते २००६ हो गया . इस बीच परियोजना का पुर जोर विरोध हुआ. यहाँ तक कहा गया की एक भूकंप दिल्ली तक को डूबा सकता है.
- पर लोगो के पुनर्वास का पूरा पूरा प्रबंध किया गया. उनके रोज़गार के भी प्रबंध किये गए. परन्तु यही मदद काफी नहीं होती है हमें जनता का भावनात्मक समर्थन प्राप्त करना भी आवश्यक होता है.
- बाद में टिहरी के लोगो ने भी सरकार के समर्थन का फैसला किया. टिहरी क्षेत्र के लोग अपने अपने घर को छोड़कर नई टिहरी में चले गए. पुराने शहर का डूबना या डूबते रहना खबरों में था. कुछ ही समय में पुराना टिहरी डूब गया
- पुराने टिहरी का घंटाघर डूबते हुए.
- हमको यदि जैतापुर में परमाणु संयंत्र चाहिए.तो हमें वहां के लोगो के विश्वास में लेना ही होगा . जैतापुर के लोग जापान की त्रासदी के बाद ज्यादा भावुक हो गए है . यहाँ सरकार को लोगो की मनोदशा समझते हुए कदम उठाना चाहिए. शायद सरकार के सार्थक प्रयासों से जैतापुर के लोग भी टिहरी के लोगों के तरह सरकार के साथ हो जाये
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