स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

अरुणिमा के अधूरे सपने :जिम्मेदार हम

एक बार फिर से बरेली सुर्खियों में था . एक बार फिर सुर्खियों में नौकरी , बरेली और भारतीय रेल भी सुर्ख़ियों में था. अरुणिमा  सिन्हा जो वॉलीबॉल खिलाडी है और उत्तर प्रदेश की ओर से खेल रही थी केंद्रीय आद्योगिक सुरक्षा बल में भर्ती के लिए जा रही थी . बरेली के पास किसी व्यक्ति ने उसका सोने का चैन खीचने का प्रयास किया और उसके द्वारा विरोध करने पर उसको धक्का दे दिया जिससे उसका बांया पैर जाता रहा. रेलवे ने जाँच के   आदेश दे दिए है. पर कुछ सवाल है  
१. संभवतः अरुणिमा सामान्य श्रेणी में यात्रा कर रही थी. जहाँ शाहजहांपुर , बरेली ,रामपुर,  मुरादाबाद  के बीच स्थानीय लोग अगले स्टेशन पर उतरना है कहकर चढ़ जाते  है .
२. यह स्थानीय बदमाशो का काम हो सकता है जो ट्रेन के अगले विराम पर उतर कर भाग जाते हो.
३. भारत के  सामान्य नागरिक की स्वयं की समस्या ही समस्या होती है , किसी दूसरे की समस्या तो उसको दिखाई ही नहीं देती है.
४.  हम  रेल में सोने की चैन पहन कर यात्रा नहीं कर सकते, ये तो आम घटना है.


                                                                                      
इस समय अरुणिमा   का इलाज दिल्ली के एम्स में चल रहा है और लखनऊ में इलाज के दौरान उसके कटे हुए पैर में संक्रमण फैल गया था. उसका हिमोग्लोबिन काफी कम हो गया है. फिर भी उसकी हालत स्थिर है 
  
सही मायनों में गलती किसकी है.                                                            
अब तो हम सबको बदलना ही होगा...? ताकि और कोई अरुणिमा किसी और रूप में अब शिकार न हो.

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए


आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए



हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए



सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए



मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए


दुष्यंत कुमार की ये पंक्तिया हमेशा हमको अपने जहन में रखनी होगी...


         

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