स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

रविवार, 28 अगस्त 2011

एक नई सोच का आगाज़


आज सुबह दस बजे के आस-पास अन्ना ने अपना अनशन तोडा साथ ही विशाल ही जन  समूह को संबोंधित भी किया जो सुबह से ही रामलीला मैदान में इकट्ठे हो रहे थे. इतना विशाल जन समर्थन किसी आन्दोलन को मिला यह एक बहुत बड़ी सफलता है . लोगो ने अन्ना का भरपूर साथ दिया .

 आज जब अन्ना अनशन तोड़ने के बाद अस्पताल जाने के लिए निकले तो मीडिया ने पुरे रास्ते का कवरेज दिखाया . वो जिन जिन रास्तों से निकले लोग सड़को के किनारे खड़े होकर उनकी एक झलक पाने और उनका अभिवादन करने के लिए बेताब दिखे. कई लोग तो उन्हें अस्पताल तक छोड़ के आये . मैं भी टी वी के माध्यम से इस घटनाक्रम को देख रही थी और महसूस कर रही थी की कैसे एक आम इन्सान को आज लोगो ने एक मसीहा के रूप  में अपने सर आँखों पर बिठा लिया है और ऐसा हो भी क्यों नहीं अन्ना वह व्यक्ति है जिन्होंने हमारी सोच को एक नई राह  दिखाई है .

 खासकर आज कल  की युवा पीढ़ी को अन्ना जागरूक करना चाहते है (जिन्हें पिज्जा -बर्गर , डिस्को आदि ज्यादा लुभावने लगते है)  ताकि उस राह पर चलकर वह भविष्य में अपना अधिकार हासिल  कर सके . 

यह जागरूकता इस आन्दोलन में साफ साफ़ दिखाई भी दे रही थी क्योंकि जितने तिरंगे हमने पंद्रह अगस्त को नहीं देखे उससे कहीं ज्यादा पुरे देश में इन बारह दिनों में दिखाई दिए . इस आन्दोलन में बच्चे , बूढ़े , महिलाएं सीधे शब्दों में कहें तो हर प्रान्त और शहर  के लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे .

 अन्ना नाम से  आज देश का लगभग हर नागरिक परिचित है .  कल शाम को जैसे ही लोकसभा और राज्यसभा में अन्ना की तीनो मांगो को स्वीकार कर लिया गया एक उत्सव का माहौल पुरे देश में देखने को मिला . आखिर क्यों, ऐसा क्या हासिल कर लिया हमने ......?

अन्ना ने सरकार के आगे अपनी तीन मांगे राखी थी जो सिटिज़न चार्टर , राज्यों में लोकायुक्तो की नियुक्ति और निचले स्तर  के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने से सम्बद्ध था. इन तीनो मांगो को पुरे दिन के बहस के बाद दोनों सदनों के द्वारा पारित कर दिया गया और स्थायी समिति के पास भेज दिया गया लेकिन लोकपाल को कानूनी रूप देने में अभी समय है. 

अन्ना की  तो देश की जनता हमेशा ही ऋणी रहेगी साथ ही उनके टीम की सदस्यों ने इस आन्दोलन में उनका भरपूर साथ दिया . देश की पूरी जनता ने अपनी एक जुटता दिखा कर इस आन्दोलन  को सफलता दिलाई है . प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जिन लोगों ने भी इस आन्दोलन को अपना सहयोग प्रदान किया वे सभी बधाई   के पात्र है.

आप लोग भी इस नई सोच की शुरुआत और इसकी सफलता का जश्न जरुर मनाएँ .एक बार फिर से आप लोगों को इस नए युग के शुरुआत की  बधाई.

33 टिप्‍पणियां:

tips hindi me ने कहा…

रेखा जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

tips hindi me ने कहा…

अन्ना जी अनशन टूटने का नजारा ब्लॉग पर लाइव टेलीकास्ट का प्रयास अच्छा लगा

विभूति" ने कहा…

.हम अन्ना जी को शत-शत नमन करते है जिन्होंने हमें हमारे अन्दर छिपी शक्ति से परिचित कराया....

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

मैंने भारत में पहली बार इतने बड़ी संख्या में लोगो को 1 साथ 1 आवाज में अहिंसक आन्दोलन देखने को मिलना किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं है! भ्रस्ताचार के खिलाफ श्री अन्ना जी के इस आन्दोलन में लेकिन एक बात तो है की श्री अन्नाजी ने महात्मा गाँधी जी के पद चिन्हों पर चलकर लोगो के मन में यह तो बात जगा ही दी है की अभी भी महात्मा गाँधीजी की तरह और भी लोग है जो देश के लिए कुछ भी करने को तत्पर है...

आपको भी इस जीत की 'बधाई एवं शुभकामनाये..सवाई सिंह राजपुरोहित

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत सुन्दर्
बधाई एवं शुभकामनाएं 1 ब्लॉग सबका ... की तरफ से

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

anna jeet gaye......sabko mubarak ho

Bharat Bhushan ने कहा…

अनशन तोड़ने से पूर्व अन्ना का दिया भाषण कई मायनों में अभूतपूर्व है जिसने कइयों की नींद उड़ा दी है. केजरीवाल का धन्यवाद प्रस्ताव और संक्षिप्त भाषण भी अभूतपूर्व कहा जाएगा.

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बधाई बधाई बधाई.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

सचमुच यह नए युग की शुरुआत है....
जन जन के भीतर मौजूद सत्य और अहिंसा की उस शक्ति का पुनर्प्रकटीकरण है जिसे संभवतः हम सब ने भुला दिया था...
सत्य के प्रति यह विश्वास कायम रहे...
सुन्दर चित्रमय प्रस्तुतिकरण के लिए सादर बधाई और आभार...

G.N.SHAW ने कहा…

मुझे तो इस जीत पर बहुत संतोष हुआ ! अब मतदान का इंतजार है ! बहुत सुन्दर अंक !

रविकर ने कहा…

बधाई : देश-वासियों

स्वामी फिर पकड़ा गया, धरे शिखंडी-वेश,
सिब्बल के षड्यंत्र से, धोखा खाता देश,

धोखा खाता देश, वस्त्र भगवा का दुश्मन,
टीमन्ना से द्वेष, कराता उनमे अनबन,

अग्नि का उद्देश्य, पकाता अपनी खिचड़ी,
है धरती पर बोझ, बुनाये जाला-मकड़ी ||

vidhya ने कहा…

बहुत सुन्दर्
बधाई एवं शुभकामनाएं

virendra ने कहा…

veri nice post

मनोज कुमार ने कहा…

अन्ना ने सिर्फ़ चेतना जगाई है बल्कि एक रास्ता भी दिखाया है। चलना हमारा फ़र्ज़ है।

कुमार राधारमण ने कहा…

युगांतरकारी घटनाएं बिरले ही किसी को नसीब होती हैं। खुशकिस्मत हैं हम कि यह सब हमारे समय में घटा।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

जनता की ऐसी अभूतपूर्व जीत न सुनी ना देखी...सब बधाई के पात्र हैं...

नीरज

दिवस ने कहा…

बहन रेखा जी, सही कहा आपने कि अन्ना वो व्यक्ति है जिन्होंने हमारी सोच को एक नयी राह दिखाई है| बहुत सम्मान है उनके लिए|
रेखा जी, शुरू में मैं भी यही सोच रहा था कि देश का युवा जाग गया| किन्तु आन्दोलन ख़त्म होने के दो दिन बाद ही वहम निकल गया| जो युवा कल तक सड़कों पर चिल्ला रहे थे, आज उसी ढर्रे पर लौट आए हैं जहां १६ अगस्त से पहले थे|
अन्ना पर कोई प्रश्न चिन्ह नही लगा रहा| निश्चित रूप से अन्ना देश का एक हीरा हैं| उनके इस आन्दोलन में बढचढ कर काम किया है| यहाँ तक कि अपनी जेब से करीब १५,००० रुपये खर्च कर चूका हूँ| किन्तु समझ नही आया कि कौनसी जीत हो गयी| लोकपाल का मुद्दा तो आज भी वहीँ है, जहां पहले अनशन के बाद ८ अप्रेल को था|

कुछ सकारात्मक यदि देखा जाए तो केवल यही कि शहरों में कांग्रेस का मूंह काला हो गया| इसका कोई विशेष लाभ मिलेगा, ऐसा मुझे नही लगता|

मुझे तो लग रहा है कि मैं मुर्ख बना दिया गया|

अन्ना पर अभी भी कोई प्रश्न चिन्ह नही लगा रहा, और न ही आपके इस लेख पर| देश के लिए आपके जज्बे को नमन|

मदन शर्मा ने कहा…

पहली बार आपके ब्लॉग पर आया. आपके सारे पोस्ट पढ़े. कितना सुन्दर लिखती हैं आप. अफ़सोस है की पहले क्यों नहीं यहाँ आ पाया.
जिस तरह से भ्रष्टाचार ने भारत की जड़ों को खोखला कर रखा है, ये आन्दोलन बहुत ही जरूरी था. जन लोकपाल बिल को मानना सरकार की मजबूरी बन चुकी है. ये जनता और प्रजातंत्र की जीत है. भारत की जनता अब और ज्यादा भ्रष्टाचार सहन नहीं कर पायेगी.
भारत गणराज्य में हमारा संविधान ही सर्वोच्च है और उसकी प्रस्तावना में पहला शब्द है "हम भारत के लोग" संविधान ने संसद को सर्वोच्चता तो प्रदान की परन्तु इसे उत्तरदायी शासन बनाया. लेकिन हमारे सांसदों ने इसे स्वेच्छाचारी शासन में परिवर्तित कर दिया. हमारा संसदीय मंत्रिमंडल बार बार असफल हो रहा है और सांसद सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए काम कर रहे हैं वो भूल गए हैं की हमारा संसद सर्वोच्च है सांसद नहीं. अब समय आ गया है जब सांसदों की योग्यता पर फिर से विचार होना चाहिए जिससे की भ्रष्ट लोग संसद में जा ही न सकें.
अन्ना हजारे सिर्फ बेदाग छवि का एक नाम है. सरकार अपनी समूची ऊर्जा इस बात को साबित करने में नष्ट करती रही है कि उसका विरोध करने वाले ‘खरे’ नहीं हैं. अपने खोटे सिक्के को चलाने के अहंकार का यह आनंद ऐसे सत्ताधारी ही ले सकते हैं, जिन्हें यह गुमान हो कि उनका कोई विकल्प शेष नहीं है.
हम ये बात अच्छी तरह जानते हैं कि किसी भी नेता ने खुले मन से अन्ना का समर्थन नहीं किया है, ये तो जनाक्रोश था जिसके डर से आप मजबूर हुए हैं.
हमारे पास कोई मोहिनी अस्त्र तो है नहीं की उसे चला दिया और सबकी सोच बदल गई. इसके लिए एक बदलाव की आवश्यकता है और मुझे लगता है उसकी शुरुआत हो चुकी है.
जब गांधीजी ने अंग्रेज़ों से भारत छोड़ने के लिए कहा था तो एक बड़े बुद्धिजीवी वर्ग को ऐसी आशा नहीं थी, लेकिन ऐसा हुआ.
इस आंदोलन से भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा ये तो अन्ना को भी पता है, लेकिन नकेल ज़रूर पड़ जाएगी ये हम सबको पता है.

ZEAL ने कहा…

ये हम सबके लिए एक बहुत बड़ी जीत है । खुश हूँ।

रात के खिलाफ ने कहा…

अन्ना पर लिखा हुआ आपका आलेख काफी बढ़िया और दिशा पूर्ण है...बधाई...और मेरे ब्लॉग पर भी यदा-कदा गुजरने के लिए बुहत बहुत धन्यवाद...

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

ब्लॉग पर पहली बार इतनी विस्तृत प्रस्तुति आपकी लेखन कुशलता की स्वत: परिचायक है. सफलता के जश्न पर शुभकामनायें.

Arunesh c dave ने कहा…

अन्ना मे हमे आजादी का आंदोलन याद दिला दिया- "अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नही"

सुधीर राघव ने कहा…

बधाई अन्ना पर लिखा हुआ आपका आलेख काफी बढ़िया है

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

बहुत सराहनीय प्रस्तुति ....
.अन्ना युग पुरुष बनकर उभरे हैं , ईश्वर उन्हें लम्बी उम्र दे |

Manoranjan Manu Shrivastav ने कहा…

आपकी लेखनी में जो आक्रोश दिख रहा है, वो हर एक भारतीय का आक्रोश है.
मुझे एक गाने की एक लाइन याद आ रही है
दूर हटो ए दुनिया वालो हिंदुस्तान हमारा है
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मुस्कुराना तेरा
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अन्ना जी के तीन....

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

अन्ना भारत के सच्चे सपूत हैं।
सचित्र रिपोर्ताज अच्छा लगा।

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुतिकरण आभार...

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति...

Unknown ने कहा…

बढ़िया

shikha varshney ने कहा…

एक सम्पूर्ण झांकी ..
बहुत सुन्दर.

virendra sharma ने कहा…

निश्चय ही रेखा जी वह एक विधाई क्षण था जब अन्ना जी जै बोल रहे थे भारत माता की .उनकी हुंकार और वह विधाई पल जब सारा राष्ट्र जो जहां था वहीँ सावधान की मुद्रा में जन गण मन गा रहा था .ऐसा पल हमने इससे पहले कभी अनुभूत नहीं किया .इन गुजिस्ता सालों में ...आभार !आपकी ब्लोगिया दस्तक हमारा संबल है .
मंगलवार, ६ सितम्बर २०११
विकिलीक्स आर एस एस और माया .....

http://veerubhai1947.blogspot.com/2011/09/blog-post_06.html

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

अन्ना ने भेजा सन्देश,
जाग गया अब सारा देश !!

Batangad ने कहा…

शानदार आगाज रहा। देखिए अंजाम कैसा होता है। देश के लिए उम्मीद बेहतर अंजाम की ही है।